राग देवसाख
स्वर लिपि
स्वर | आरोह में गन्धार, धैवत वर्ज्य। अवरोह में धैवत वर्ज्य। गन्धार, निषाद कोमल(क्वचित निषाद शुद्ध)। शेष शुद्ध स्वर। |
जाति | औढव - षाढव वक्र |
थाट | काफी |
वादी/संवादी | पंचम/षड्ज |
समय | दिन का तीसरा प्रहर |
विश्रांति स्थान | |
मुख्य अंग | |
आरोह-अवरोह | सा रे म प नि१ सा' - सा' नि१ प म प ग१ म ग१ रे सा ,नि१ सा; |