राग गौरी (भैरव अंग)

स्वररिषभ, धैवत कोमल। शेष शुद्ध स्वर।
जातिसम्पूर्ण - सम्पूर्ण वक्र
थाटभैरव
वादी - संवादीरिषभ - पंचम
समयदिन का चतुर्थ प्रहर
विश्रांति स्थान
मुख्य अंगसा रे१ सा ,नि सा ग रे१; म ग रे१ सा रे१ ,नि सा
आरोह - अवरोहसा रे१ ,नि सा ; सा रे१ ग म प ध१ प ; प ध१ नि सा' - सा' नि ध१ प म ग ; रे१ ग म ग रे१ ; सा रे१ ,नि सा ; ,ध१ ,नि ,ध१ सा ,नि सा;

राग गौरी दया और इश्वर भक्ति कि भावना से ओत प्रोत है। इसलिये इस राग मे भक्ति रस और विरह रस कि बन्दिशें अधिक सुनाई देती हैं। इस राग मे भैरव अंग है, पर ये भैरव राग जितना गम्भीर नही है। यह स्वर संगतियाँ इस राग को राग भैरव से भिन्न करती हैं – सा रे१ ग म ग ; रे१ ग रे१ म ग रे१ सा रे१ ,नि सा ; ग म प ध१ प ; प ध१ नि सा’ ; ध१ नि ध१ सा’ नि ; ध१ प म प म ध१ प म ; ग रे१ ; सा रे१ ,नि सा

यह स्वर संगतियाँ राग गौरी का रूप दर्शाती हैं – 

ग म प ध१ प ; म प म ध१ प म ग ; म ग म ; प प म ग रे१ ग ; रे१ ग रे१ म ग रे१ सा ,नि ; सा रे१ ग म ग;

राग गौरी की बन्दिशें

ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।अधिक जानकारी के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें

1
बड़ा ख्याल - दीपन ज्योति लागी
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - सूर्यास्त समय
2
बड़ा ख्याल - मोरा मन लागो परदेसी प्रीतम प्यारा
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - विरह रस
3
छोटा ख्याल - गौवें घर को आई बन से
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - सूर्यास्त समय
4
छोटा ख्याल - जाने ना दूंगी मैं अपने पिया को
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
5
छोटा ख्याल - मत कर तू गुमान
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - जीवन दर्शन
6
छोटा ख्याल - बाजे हो मिरदंगवा
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - सूर्यास्त समय
7
सरगम - रे ग रे म ग रे सा रे नि
ताल - एकताल द्रुत