राग देवगिरि बिलावल

स्वरआरोह में मध्यम वर्ज्य। निषाद दोनों। शेष शुद्ध स्वर।
जातिषाढव - सम्पूर्ण वक्र
थाटबिलावल
वादी - संवादीषड्ज - पंचम
समयदिन का प्रथम प्रहर
विश्रांति स्थानसा; ग; प; - प; ग; सा;
मुख्य अंगसा ; ,ध ,नि ,ध सा रे ग ; ग रे सा ; ,ध ,प ग ; ,नि रे ग म ग ; ग प म ; ग रे सा ;
आरोह - अवरोहसा रे ग प ध नि सा' - सा' नि ध प ; ध नि१ ध प ; म ग रे सा; ,नि सा ; ,ध ,प ग रे सा ;

राग देवगिरि बिलावलशुद्ध कल्याण और बिलावल का मिश्रण है और साथ ही इसमें कल्याण अंग भी झलकता है। इसमें तीव्र मध्यम का प्रयोग बिल्कुल नहीं किया जाता, नहीं तो यह राग यमनी बिलावल हो जायेगा। अवरोह में निषाद कोमल को इस तरह से लिया जाता है – सा’ ध नि१ प अथवा सा’ नि ध प ध नि१ ध प म ग रे ग रे सा;

शुद्ध कल्याण ग रे सा ,ध ,प ग में दिखाई देता है और कल्याण सा ,नि ,ध सा ; ,नि रे ग ; ग रे सा में झलकता है इस राग का विस्तार मन्द्र और मध्य सप्तक में अधिक किया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग देवगिरि बिलावल का रूप दर्शाती हैं –

ग रे ग ; ग म ग रे सा ; ,ध ,प ग रे सा ; सा ,नि रे ग म ग ; ग रे ग प ; प ध नि सा’ ; सा’ नि ध प ; ध नि१ ध प ; म ग रे ग रे सा ; ,नि रे ग रे सा;

राग देवगिरि बिलावल की बन्दिशें

1
बड़ा ख्याल - पत राखो मुरारी
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - श्री कृष्ण - भक्ति रस
2
छोटा ख्याल - हमसन बोलत काहे ना रसिया
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
3
छोटा ख्याल - कबलों निहारूँ बाट पिया
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
4
छोटा ख्याल - कबलों सहूँ अवहेलना
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
5
छोटा ख्याल - सुमिर सुमिर हरी नाम प्यारे
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - भक्ति रस
6
सरगम - ग ग म ग रे ग रे
ताल - त्रिताल द्रुत