राग रागेश्री

स्वरआरोह में रिषभ व पंचम वर्ज्य, अवरोह में पंचम वर्ज्य। निषाद कोमल। शेष शुद्ध स्वर।
जातिऔढव - षाढव
थाटखमाज
वादी - संवादीगंधार - निषाद
समयरात्रि का द्वितीय प्रहर
विश्रांति स्थानग; म; ध;
मुख्य अंग,नि१ ,ध ,नि१ सा ; ग म रे सा ; ग म ध नि१ ध म ; ग म रे सा;
आरोह - अवरोहसा ग म ध नि१ सा' - सा' नि१ ध म ग म रे सा;

राग रागेश्री बहुत ही मधुर राग है। संगीत शास्त्रों के अनुसार राग रागेश्री में निषाद शुद्ध और निषाद कोमल का प्रयोग बताया गया है। परन्तु वर्तमान में इस राग में सिर्फ कोमल निषाद ही उपयोग में लाया जाता है। और शुद्ध निषाद का प्रयोग बहुत ही अल्प रूप में दिखाई देता है।

अवरोह में सा’ नि१ ध म ग रे सा लिया जा सकता है। लेकिन वर्तमान में सा’ नि१ ध म ग म रे सा यह ज्यादा प्रचलन में हैं। इस राग में मध्यम प्रभावी स्वर है और धैवत-गंधार की संगती राग वाचक है जैसे – म ग ; म ध ग ; ग म नि१ ध ; ग म रे सा। कभी कभी आरोह में गंधार लगाते समय रिषभ का उपयोग कण स्वर के रूप में किया जाता है जैसे – सा ग (रे)ग म रे सा

जब इस राग में कभी कभी पंचम स्वर का उपयोग किया जाता है तब उसे राग पंचम-रागेश्री कहा जाता है जैसे – ग म प म ; ग म रे सा ; सा’ नि१ ध म ग म प म ; ग म रे सा। परन्तु यह प्रकार आजकल प्रचलन में कम है।

यह स्वर संगतियाँ राग रागेश्री का रूप दर्शाती हैं –

सा ,नि१ ,ध ,नि१ सा ; ग म रे ,नि१ सा ; ग म ध म ; ध ग म ; ग म ध नि१ सा’ ; सा’ रे’ सा’ सा’ नि१ ध ; नि१ ध ग म ; म ग म रे सा ; ध नि१ सा’ ; ध नि१ सा’ रे’ सा’ नि१ ध ; म ग रे सा ,नि१ ,ध ; ,ध ,नि१ सा ग म रे सा ;

राग रागेश्री की बन्दिशें

ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं, और उनकी पुस्तक ‘आचार्य तनरंग की बन्दिशें भाग 3’ में प्रकाशित की गयीं हैं। इस पुस्तक में 28 रागों की कुल 440 बन्दिशें हैं। इस पुस्तक को खरीदने के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।

1
बड़ा ख्याल - धन धन री मोरी आली
ताल - त्रिताल विलम्बित
प्रसंग - श्रृंगार रस
2
बड़ा ख्याल - मेरो मन लागो चरणन
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - गुरु वंदना
3
बड़ा ख्याल - निरंजन की जय हे जगत्राता
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - भक्ति रस
4
बड़ा ख्याल - रैन के जागे हो पिया
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - रूठना मनाना
5
बड़ा ख्याल - सब सुख दीनो हे करतार
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - भक्ति रस
6
सादरा - शुभ घरी आई मोरी
ताल - झपताल विलम्बित
प्रसंग - श्रृंगार रस
7
मध्य लय ख्याल - आदेश गुरुराज दीजे
ताल - झपताल मध्य लय
प्रसंग - गुरु वंदना
8
मध्य लय ख्याल - कलियाँ विविध कुञ्ज
ताल - झपताल मध्य लय
प्रसंग - बसंत बहार
9
छोटा ख्याल - आज साजन घर आये
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्रृंगार रस
10
छोटा ख्याल - बन बन बोलत कोयलिया
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - बसंत बहार
11
छोटा ख्याल - झनन झनन झनन बाजे
ताल - एकताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - महिमा वर्णन
12
छोटा ख्याल - जिन रोक बनवारी गैल
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़
13
छोटा ख्याल - मुरलिया बाजी रे बाजी
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - मुरलीधर
14
छोटा ख्याल - नाही परत मैको चैन तुम बिन
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
15
छोटा ख्याल - नैनवा उलझ गए मोरे
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्रृंगार रस
16
छोटा ख्याल - रसिया बहुत दिन पाछे
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्रृंगार रस
17
छोटा ख्याल - रटत रसना नाही गोपाल
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - भक्ति रस
18
छोटा ख्याल - सजनवा कब रे आन मिलो रे
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
19
छोटा ख्याल - सखियाँ आई री सब हुलसत
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्रृंगार रस
20
छोटा ख्याल - सुर में बसे हैं श्री राम
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री राम, सुर साधना
21
छोटा ख्याल - आये नहीं घरवा पिया
ताल - एकताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
22
देश भक्ति गीत - तू जाग जाग जाग रे (राग मिश्र रागेश्री)
ताल - दादरा द्रुत
प्रसंग - देश भक्ति
23
सरगम - ग म रे सा नि सा
ताल - रूपक द्रुत

राग रागेश्री – श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे

छोटा ख्याल – झनन झनन झनन बाजे  ताल – एकताल द्रुत