राग सूरदासी मल्हार

स्वरआरोह में गंधार व धैवत वर्ज्य, अवरोह में गंधार वर्ज्य। निषाद दोनों। शेष शुद्ध स्वर।
जातिऔढव - षाढव वक्र
थाटकाफी
वादी - संवादीमध्यम - षड्ज
समयवर्षा ऋतु
विश्रांति स्थानसा; रे; म; प; - सा'; प; म; रे;
मुख्य अंगम रे ,नि सा ; सा' ; नि१ ध म प नि१ ध प ; म रे प म ध प ; म रे ,नि सा ;
आरोह - अवरोहसा रे म प नि सा' - सा' नि१ ध प ; म ध प ; नि१ ध प म रे ; ,नि सा;

राग सूरदासी मल्हार में सारंग अंग और मल्हार अंग का मिश्रण है। आरोह में सारंग अंग जैसे – सा रे म प नि सा’ के साथ मल्हार अंग इस तरह से दिखाया जाता है – म रे प ; म प नि१ नि सा’। अवरोह में धैवत स्वर का एक महत्वपूर्ण स्थान है जो सारंग अंग को अलग करता है जैसे – सा’ नि१ ध प ; म रे प ; म ध प ; नि१ ध प ; म रे नि सा

यह एक उत्तरांग प्रधान राग है। इस राग का चलन तार षड्ज (सा’) के आस पास अधिक होता है। मल्हार के अन्य प्रकारों से यह राग कम गंभीर है। वर्षा ऋतु का राग होने के कारण इस राग की बंदिशों में मुख्यतया वर्षा ऋतू का वर्णन पाया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग सूरदासी-मल्हार का रूप दर्शाती हैं –

म रे ,नि सा ; सा’ ; नि१ ध म प नि१ ध प ; म रे ; (म)रे (म)रे प ; म ध प (म)रे सा ; रे म प नि१ ध प ; म प नि१ नि सा’ ; सा’ नि१ ध प म ध प ; नि१ ध प ; म रे ,नि सा ;

राग सूरदासी मल्हार की बन्दिशें

ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं, और उनकी पुस्तक ‘आचार्य तनरंग की बन्दिशें भाग 2’ में प्रकाशित की गयीं हैं। इस पुस्तक में 31 रागों की कुल 405 बन्दिशें हैं। इस पुस्तक को खरीदने के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।

1
सादरा - पावस रुत आई रे घोर घोर
ताल - झपताल विलम्बित
प्रसंग - वर्षा ऋतू
2
सादरा - झूलन लागे श्याम राधिका
ताल - झपताल विलम्बित
प्रसंग - श्री कृष्ण - झूला
3
मध्य लय ख्याल - कारी घटा घन घोर
ताल - झपताल मध्य लय
प्रसंग - वर्षा ऋतू
4
छोटा ख्याल - अघ घ घ घ घन गरजे
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - वर्षा ऋतू
5
छोटा ख्याल - बरसत घोर घोर बदरवा
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - वर्षा ऋतू, विरह रस
6
छोटा ख्याल - गरज गरज कर आये बदरवा
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - वर्षा ऋतू, श्री कृष्ण - जन्म
7
छोटा ख्याल - गरज गरज कर बरसे
ताल - एकताल द्रुत
प्रसंग - वर्षा ऋतू
8
छोटा ख्याल - घोर घोर बरसे बदरिया
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - वर्षा ऋतू
9
छोटा ख्याल - घुमड़त गरजत आयो
ताल - एकताल द्रुत
प्रसंग - वर्षा ऋतू
10
छोटा ख्याल - माँ बिजुरी चमकत बार बार
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - वर्षा ऋतू
11
छोटा ख्याल - उमड़ घुमड़ घन आये सजनी
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - वर्षा ऋतू, विरह रस
12
सरगम - नि ध प म प नि नि सा
ताल - एकताल द्रुत