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- स्वर चिन्ह या संकेत मध्य सप्तक में इस प्रकार दर्शाये गये हैं।
| क्रमांक | स्वर | स्वर लिपि |
|---|
| 1 | षडज (सा) | सा |
| 2 | ऋषभ (रे) कोमल | रे१ |
| 3 | ऋषभ (रे) शुद्ध | रे |
| 4 | गंधार (ग) कोमल | ग१ |
| 5 | गंधार (ग) शुद्ध | ग |
| 6 | मध्यम (म) शुद्ध | म |
| 7 | मध्यम (म) तीव्र | म् |
| 8 | पंचम (प) | प |
| 9 | धैवत (ध) कोमल | ध१ |
| 10 | धैवत (ध) शुद्ध | ध |
| 11 | निषाद (नि) कोमल | नि१ |
| 12 | निषाद (नि) शुद्ध | नि |
- तार सप्तक के स्वर दर्शाने के लिये स्वर के बाद में ‘ लगाया गया है – जैसे सा’ यानि तार षड्ज।
- मंद्र सप्तक के स्वर दर्शाने के लिये स्वर के पहिले , लगाया गया है – जैसे ,सा यानि मंद्र षड्ज।
- स्वरों के बीच मे अवग्रह दर्शाने के लिये s लगाया गया है – जैसे सा s s नि s s सा ।
- कण स्वर को दर्शाने के लिये () लगाया गया है – जैसे ग म प (सा’)नि१ सा’ – कोमल निषाद को तार सप्तक के षड्ज का कण लगाया गया है।