राग बैरागी तोड़ी

स्वरमध्यम और धैवत वर्ज्य। रिषभ, गंधार और निषाद कोमल। शेष शुद्ध स्वर।
जातिऔढव - औढव
थाटतोड़ी
वादी - संवादीपंचम - षड्ज
समयदिन का प्रथम प्रहर
विश्रांति स्थानसा; रे१; प;
मुख्य अंग,नि१ सा रे१ ग१ ; ग१ रे१ ,नि१ ,प ; ,नि१ रे१ सा ;
आरोह - अवरोहसा रे१ ग१ प नि१ सा' - सा' नि१ प ग१ रे१ सा;

राग बैरागी तोड़ी को पंडित रवि शंकर जी ने प्रचलित किया है। गाने में कठिन लेकिन मधुर है। राग बैरागी के मध्यम की जगह कोमल गंधार लेने से राग बैरागी तोड़ी अस्तित्व में आता है। यह राग तोड़ी थाट के अंतर्गत आता है। इसका चलन राग तोड़ी के समान है इसलिये इसमें गंधार अति कोमल लिया जाता है। इस राग की प्रकृति गंभीर है और इसका विस्तार तीनों सप्तकों में किया जा सकता है। यह स्वर संगतियाँ राग बैरागी तोड़ी का रूप दर्शाती हैं –

सा रे१ ग१ ; ग१ रे१ सा ; रे१ ग१ प ; रे१ ग१ रे१ सा ; सा रे१ ग१ प ; नि१ प ग१ रे१ ; ग१ प नि१ सा’ ; नि१ सा’ रे१’ सा’ ; सा’ नि१ प ; नि१ प ग१ रे१ ; ग१ रे१ सा ; ,नि१ सा ,प ,नि१ सा ; रे१ सा ;

राग बैरागी तोड़ी की बन्दिशें

ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।अधिक जानकारी के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें

1
बडा ख्याल - बीती सारी रैन
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - विरह रस
2
मध्य लय ख्याल - कर साधना सुर की
ताल - झपताल मध्य लय
प्रसंग - सुर साधना
3
छोटा ख्याल - बालम हरजाई रे
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - रूठना मनाना
4
छोटा ख्याल - जपत हरि नाम काहे ना मन
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - भक्ति रस
5
छोटा ख्याल - मेरी सुनो अरज हे राम
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री राम
6
सरगम - ग रे ग प नि प ग रे सा
ताल - त्रिताल द्रुत