स्वर | रिषभ, गंधार, धैवत और निषाद कोमल। शेष शुद्ध स्वर। |
जाति | सम्पूर्ण - सम्पूर्ण |
थाट | भैरवी |
वादी - संवादी | मध्यम - षड्ज |
समय | दिन का प्रथम प्रहर |
विश्रांति स्थान | सा; म; प; - सा'; प; म; |
मुख्य अंग | ग१ सा रे१ सा ; ग१ म प ; ध१ म ध१ नि१ सा' ; रे१' सा' ध१ प ग१ म रे१ सा; |
आरोह - अवरोह | सा रे१ ग१ म प ध१ नि१ सा' - सा' नि१ ध१ प म ग१ रे१ सा; |
यह राग भैरवी थाट का आश्रय राग है। हालांकि इस राग का गाने का समय प्रातःकाल है पर इस राग को गाकर महफिल समाप्त करने की परंपरा प्रचार में है। आजकल इस राग में बारह स्वरों का स्वतंत्र रूप से प्रयोग करने का चलन बढ़ गया है जिसमें कलाकार कई रागों के अंगों का प्रदर्शन करते हैं। यह राग भाव-अभिव्यक्ति के लिए बहुत अनुकूल तथा प्रभावकारी है। इसके पूर्वांग में करुण तथा शोक रस की अनुभूति होती है। और जैसे ही पूर्वार्ध और उत्तरार्ध का मिलाप होता है तो इस राग की वृत्ति उल्हसित हो जाती है।
ऐसा कौन संगीत मर्मज्ञ अथवा संगीत रसिक होगा जिसने राग भैरवी का नाम ना सुना हो या इसके स्वरों को ना सुना हो। इस राग के इतने लचीले, भावपूर्ण तथा रसग्राही स्वर हैं की श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इस राग का विस्तार मध्य तथा तार सप्तक में किया जाता है। इस राग में जब शुद्ध रिषभ का प्रयोग किया जाता है तो इसे सिंधु-भैरवी कहा जाता है।
इस राग की प्रकृति चंचल है अतः इसमें ख्याल नही गाये जाते। इसमें भक्ति तथा श्रृंगार रस की अनुभूति भरपूर होती है अतः इसमें भजन, ठुमरी, टप्पा, ग़ज़ल, आदि प्रकार गाये जाते हैं। यह स्वर संगतियाँ राग भैरवी का रूप दर्शाती हैं –
रे१ ग१ रे१ ग१ सा रे१ सा ; ग१ म प ; प ध१ प ; प ध१ नि१ ध१ म ; ध१ प ग१ म ; प म ग१ म रे१ रे१ सा ; ,ध१ सा ; सा ग१ म प ; प ध१ प ; म म ; ग१ रे१ सा ; सा ग१ रे१ म ग१ ; सा ग१ प म ग१ सा रे१ सा ; ,नि१ रे१ ,नि१ ,ध१ ,नि१ ,ध१ ,प ,प ,ध१ ,नि१ ,ध१ सा;
राग भैरवी की बन्दिशें
ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं, और उनकी पुस्तक ‘आचार्य तनरंग की बन्दिशें भाग 1′ में प्रकाशित की गयीं हैं। इस पुस्तक में 31 रागों की कुल 389 बन्दिशें हैं। इस पुस्तक को खरीदने के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।
1 | मध्य लय ख्याल - शारदा पद कन्ज युग में ताल - रूपक मध्य लय प्रसंग - माँ सरस्वती | |
2 | मध्य लय ख्याल/ध्रुवपद - पूर्व गगन भानू ऊदित ताल - चौताल मध्य लय प्रसंग - सूर्योदय समय | |
3 | स्वर सागर - दरसन दे शारदे माँ ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - माँ सरस्वती | |
4 | मध्य लय ख्याल/ठुमरी - बेकल जियरा ना लागे ताल - त्रिताल मध्य लय प्रसंग - विरह रस | |
5 | ठुमरी - भूल गए साँवरिया मोहे ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - विरह रस | |
6 | दादरा - अपनी गरज पकर लीनी ताल - दादरा द्रुत प्रसंग - रूठना मनाना | |
7 | दादरा - जादू भरे नैन बान ताल - दादरा द्रुत प्रसंग - श्रृंगार रस | |
8 | छोटा ख्याल - मथुरा ना जाओ कन्हैया ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों की व्याकुलता | |
9 | छोटा ख्याल - डारो ना डारो ना ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - होरी | |
10 | छोटा ख्याल - अविगत अविनाशी भज रे ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - भक्ति रस | |
11 | छोटा ख्याल - भगवती शारदे स्वर दे ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - माँ सरस्वती | |
12 | छोटा ख्याल - जा रे जा रे पथिकवा जा ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - विरह रस | |
13 | छोटा ख्याल - मुरली बाजे बाजे मधुबन में ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - मुरलीधर | |
14 | छोटा ख्याल - बाट चलत मैको श्याम छेड़त सखी ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़ | |
15 | छोटा ख्याल - जा मैं तोसे नहीं बोलू ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - रूठना मनाना | |
16 | छोटा ख्याल - काहे करत बरजोरी कन्हाई ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़ | |
17 | छोटा ख्याल - करो ना तकरार साँवरिया ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़ | |
18 | छोटा ख्याल - मान मान मान रे ताल - एकताल द्रुत प्रसंग - रूठना मनाना | |
19 | छोटा ख्याल - मंजुल चले बयार भोर की ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - सूर्योदय समय | |
20 | छोटा ख्याल - सजना मोहे ना सताओ ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - रूठना मनाना | |
21 | छोटा ख्याल - नैया किनारे लगाओ मोरी ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - भक्ति रस | |
22 | सरगम - नि१ सा ग१ म प ध१ प ताल - त्रिताल द्रुत |
राग भैरवी – आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’
छोटा ख्याल – मथुरा ना जाओ ताल – त्रिताल
होरी – बाट चलत मोरी चुनरी रंग डारी ताल – त्रिताल
होरी – बाट चलत मोरी चुनरी रंग डारी ताल – त्रिताल
तराना – दिया नारे तनोम ताल – त्रिताल
स्वर सागर – दरसन दे शारदे माँ ताल – त्रिताल
शारदा स्तुति – भगवती शारदे स्वर दे ताल – त्रिताल
राग भैरवी (टप्पा) – श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे
टप्पा – नज़र दी बहार वे ताल – त्रिताल