स्वर | आरोह में रिषभ और धैवत वर्ज्य। मध्यम दोनों। शेष शुद्ध स्वर। |
जाति | औढव - सम्पूर्ण वक्र |
थाट | कल्याण |
वादी - संवादी | गंधार - निषाद |
समय | रात्रि का दूसरा प्रहर |
विश्रांति स्थान | सा; ग; प; नि; - सा'; नि; प; ग; |
मुख्य अंग | ग म ग ; प म् प ग म ग ; प म् ग म ग रे सा; |
आरोह - अवरोह | सा ग म प नि सा' - सा' नि धप म् प ग म ग रेसा; या सा' नि ध प म् ग म ग रे सा; |
राग बिहाग अत्यंत ही प्रचलित और मधुर राग है। प म् ग म यह स्वर समुदाय राग वाचक है। आरोह में मध्यम से उठाव करते समय मध्यम तीव्र का प्रयोग होता है जैसे – म् प ; म् प ध ग म ग; म् प नि सा’ नि ध प;। अवरोह में तीव्र मध्यम का प्रयोग मध्यम शुद्ध के साथ किया जाता है जैसे – म् ग म ग। यदि अवरोह सीधा लेना हो तो सिर्फ शुद्ध मध्यम का प्रयोग होगा जैसे सा’ नि ध प म ग रे सा।
कुछ दशक पूर्व तक राग बिहाग में मध्यम तीव्र का प्रयोग नहीं किया जाता था और इसीलिए इस राग का थाट बिलावल माना जाता था। परन्तु अब संगीतज्ञों द्वारा मध्यम तीव्र का प्रयोग किया जाता है और इसीलिए राग बिहाग को कल्याण थाट में रखा गया है।
इस राग में निषाद शुद्ध खुला हुआ लगता है अतः इसमें उलाहने जैसे प्रबंध बहुत आकर्षक लगते हैं। साधारणतया आलाप की शुरुवात मन्द्र निषाद से होती है जैसे – ,नि सा ग रे सा ; ,नि सा ,नि म ग रे सा । इसके अवरोह में रिषभ और धैवत पर न्यास नही किया जाता। इनका प्रयोग अल्प होता है जैसे – नि ध प ; म ग रे सा।
यह पूर्वांग प्रधान राग है। इसमें ख्याल, तराने, ध्रुवपद आदि गाए जाते हैं।
राग बिहाग की बन्दिशें
ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं, और उनकी पुस्तक ‘आचार्य तनरंग की बन्दिशें भाग 1′ में प्रकाशित की गयीं हैं। इस पुस्तक में 31 रागों की कुल 389 बन्दिशें हैं। इस पुस्तक को खरीदने के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।
1 | बडा ख्याल - राजन के राजा ताल - एकताल विलम्बित प्रसंग - गुरु वंदना | |
2 | सादरा - ऊचट गई नींदरिया ताल - झपताल विलम्बित प्रसंग - विरह रस | |
3 | सादरा - गिनत रही तारे पिया नहीं आये ताल - झपताल विलम्बित प्रसंग - विरह रस | |
4 | मध्य लय ख्याल - कैसो है ये तेरो ताल - झपताल मध्य लय प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़ | |
5 | छोटा ख्याल - जमुना पे बाजे ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - मुरलीधर | |
6 | छोटा ख्याल - झनन झनन बाजे ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - बाल्यकाल | |
7 | छोटा ख्याल - रंग रंग बरसे आज सखी ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्रृंगार रस | |
8 | छोटा ख्याल - बालमुवा बिसरो री ताल - एकताल द्रुत प्रसंग - विरह रस | |
9 | सरगम - प ग म ग नि सा म ग ताल - त्रिताल द्रुत |
राग बिहाग – आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’
छोटा ख्याल – जमुना पे बाजे ताल – त्रिताल
राग बिहाग – श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे
छोटा ख्याल – ए ए मोरा रे मोरा रे, ताल – त्रिताल