राग गोरख कल्याण

स्वरगंधार और पंचम वर्ज्य, आरोह में निषाद वर्ज्य। अवरोह में निषाद कोमल। शेष शुद्ध स्वर।
जातिऔढव - औढव
थाटखमाज
वादी - संवादीमध्यम - षड्ज
समयरात्रि का दूसरा प्रहर
विश्रांति स्थानसा; म; ध; - ध; म; रे; ,नि१;
मुख्य अंगसा रे म ; रे म रे सा ,नि१ ; ,नि१ ,ध सा ; रे म ध नि१ ध सा' ; सा' नि१ ध म रे ; म रे सा ,नि१ ; ,नि१ ,ध रे सा ;
आरोह - अवरोहसा रे म ध सा' - सा' नि१ ध म रे सा ,नि१ ; ,नि१ ,ध रे सा ;

राग गोरख कल्याण बहुत ही मीठा और प्रभावशाली राग है। इस राग में मध्यम एक महत्वपूर्ण स्वर है जो इस राग का वादी और न्यास स्वर है। इसी कारण यह राग नारायणी से अलग हो जाता है, जिसमें न्यास और वादी स्वर पंचम है। गोरख कल्याण में मन्द्र सप्तक का कोमल निषाद एक न्यास स्वर है जो इस राग की पहचान है। आरोह में निषाद वर्ज्य है जिसके कारण यह राग बागेश्री से अलग हो जाता है। परन्तु कोमल निषाद को आरोह में अल्प स्वर के रूप में लगाते हैं जो इस राग की सुंदरता बढ़ाता है जैसे – ,ध ,नि१ रे सा या ,नि१ सा रे सा

अवरोह में धैवत से मध्यम तक आते समय पंचम का हल्का सा कण लगता है जैसे – ध (प)म या म (प)म। कुछ संगीतज्ञ पंचम को अवरोह में मुक्त रूप से लेने के पक्षधर हैं। यह एक गंभीर राग है, जिसका विस्तार तीनों सप्तकों में उन्मुक्त रूप से किया जा सकता है। इस राग में कल्याण अंग नहीं होता। यह स्वर संगतियाँ राग गोरख-कल्याण का रूप दर्शाती हैं –

सा रे म रे सा ,नि१ ; ,ध ,नि१ ,ध ,ध सा ; ,ध सा रे ; रे रे म म रे ; म म ध ; नि१ नि१ ध ; म ध म रे ; ,नि१ ,ध सा ; सा रे म रे ; म ध सा’ ; सा’ रे’ रे’ सा’ नि१ ध ; म रे (प)म रे ; ,नि१ ,ध सा ; सा रे ,नि१ ,ध सा ; ,नि१ सा रे म रे ; रे म ध म ; म ध नि१ ध ; म ध सा’ ; नि१ सा’ रे’ सा’ ; ध नि१ ध म ; म (प)म ; रे सा ,नि१ ; रे ,नि१ ,ध सा ;

राग गोरख कल्याण की बन्दिशें

ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं, और उनकी पुस्तक ‘आचार्य तनरंग की बन्दिशें भाग 3’ में प्रकाशित की गयीं हैं। इस पुस्तक में 28 रागों की कुल 440 बन्दिशें हैं। इस पुस्तक को खरीदने के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।

1
बड़ा ख्याल - भाग जगे मोरे आज
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - श्रृंगार रस
2
बड़ा ख्याल - तोरे गुन गाउँ सिरी गुरु
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - गुरु वंदना
3
सादरा - बेगुन गुन गाये
ताल - झपताल विलम्बित
प्रसंग - भक्ति रस
4
मध्य लय ख्याल - श्याम नही माने री
ताल - झपताल मध्य लय
प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़, श्री कृष्ण - होरी
5
मध्य लय ख्याल/स्वर सागर - नाद सुर मधुर रस
ताल - झपताल मध्य लय
प्रसंग - सुर साधना
6
स्वर सागर - श्याम राधा पद में रमे
ताल - रूपक द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - महिमा वर्णन
7
छोटा ख्याल - बलमा बिना चैन ना आये
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
8
छोटा ख्याल - बलमा तनिक सुन ले रे
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - रूठना मनाना
9
छोटा ख्याल - चुनरिया मोरी भींज गई रे
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़
10
छोटा ख्याल - धन धन भाग तिहारो
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्रृंगार रस
11
छोटा ख्याल - हे री तोहे श्याम बुलाये
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़
12
छोटा ख्याल - कासे कहुँ बिरहा की बतियाँ
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
13
छोटा ख्याल - लंगर मत पकर बैयाँ मोरी
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़
14
छोटा ख्याल - बाजो रे छुम छुम छुम छुम
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - नृत्य के लिए उपयोगी, श्री कृष्ण - गोपियों की व्याकुलता
15
छोटा ख्याल - मोरे पिया घर आये ना
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
16
छोटा ख्याल - रंग भरी अँखियन में
ताल - एकताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - महिमा वर्णन
17
सरगम - रे म ध सा नि ध नि
ताल - रूपक द्रुत

राग गोरख कल्याण – श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे

बडा ख्याल – भाग जगे मोरे आज ताल – एकताल विलम्बित

छोटा ख्याल – हे री तोहे श्याम बुलाये ताल – त्रिताल