स्वर | गंधार व निषाद कोमल। शेष शुद्ध स्वर। |
जाति | सम्पूर्ण - सम्पूर्ण |
थाट | काफी |
वादी - संवादी | पंचम - षड्ज |
समय | रात्री का द्वितीय प्रहर |
विश्रांति स्थान | सा प - सा' प रे |
मुख्य अंग | ग१ रे ; म प ; म प ध प ; ध नि१ सा' ; नि१ ध प ; सा रे म प ; ध म प ग१ रे ; |
आरोह - अवरोह | सा रे ग१ म प ध नि१ सा' - सा' नि१ ध प म ग१ रे सा; |
राग काफी रात्रि के समय की भैरवी है। इस राग में पंचम बहुत खुला हुआ लगता है। राग को सजाने में कभी कभी आरोह में गंधार को वर्ज्य करते हैं जैसे – रे म प ध नि१ ध प म प ग१ रे। इस राग कि सुंदरता को बढाने के लिये कभी कभी गायक इसके आरोह में शुद्ध गंधार व निषाद का प्रयोग करते हैं, तब इसे मिश्र काफी कहा जाता है। वैसे ही इसमें कोमल धैवत का प्रयोग होने पर इसे सिन्ध काफी कहते हैं। सा रे ग१ म प ग१ रे – यह स्वर समूह राग वाचक है इस राग का विस्तार मध्य तथा तार सप्तक में सहजता से किया जाता है।
इस राग का वातावरण उत्तान और विप्रलंभ श्रंगार से ओतप्रोत है और प्रक्रुति चंचल होने के कारण भावना प्रधान व रसयुक्त ठुमरी और होली इस राग में गाई जाती है। यह स्वर संगतियाँ राग काफी का रूप दर्शाती हैं –
धप मप मप ग१ रे ; रेग१ मप रेग१ रे ; नि१ ध प म ग१ रे ; म प ध नि१ प ध सा’ ; सा’ नि१ ध प म प ध प ग१ रे ; प म ग१ रे म ग१ रे सा;
राग काफी की बन्दिशें
ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं, और उनकी पुस्तक ‘आचार्य तनरंग की बन्दिशें भाग 1′ में प्रकाशित की गयीं हैं। इस पुस्तक में 31 रागों की कुल 389 बन्दिशें हैं। इस पुस्तक को खरीदने के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।
1 | सादरा - मोरी बिनती मान ले ताल - झपताल विलम्बित प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़ | |
2 | मध्य लय ख्याल/झूला - झूलत नन्द किशोर गोपी संग ताल - त्रिताल मध्य लय प्रसंग - श्री कृष्ण - झूला | |
3 | मध्य लय ख्याल/ठुमरी - तनरंग मानत नाही रे ताल - चाँचर मध्य लय प्रसंग - रूठना मनाना | |
4 | मध्य लय ख्याल/होरी - खेलत आज मोसे होरी ताल - त्रिताल मध्य लय प्रसंग - श्री कृष्ण - होरी | |
5 | होरी - मुरली मुख पर बिराजे ताल - एकताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - होरी | |
6 | होरी - अब कैसी धूम मचाई रे ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - होरी | |
7 | छोटा ख्याल - मधु बाँसुरी नीकी बजाई ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों की व्याकुलता | |
8 | छोटा ख्याल - निठुवा माने नही आज सखी ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़ | |
9 | छोटा ख्याल - फूली रात रानी मदभरी ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - रात्रि कालीन | |
10 | छोटा ख्याल - छाई है मंजरी ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - बसंत बहार | |
11 | छोटा ख्याल - गुमान करे गोरी बृखभान किशोरी राधा ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री राधा | |
12 | छोटा ख्याल - मन मोहन हमसन बोल बोल ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों की व्याकुलता | |
13 | सरगम - ग रे नि सा रे ग सा रे प ताल - त्रिताल द्रुत |
राग काफी – आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’
होरी – आज खेलो श्याम संग होरी ताल – त्रिताल
राग काफी – श्री कृष्णा जी टोले
टप्पा – ओ मियाँ जाने वाले