राग पीलू

स्वरआरोह में रिषभ व धैवत वर्ज्य। दोनों गंधार, दोनों धैवत व दोनों निषाद। शेष शुद्ध स्वर।
जातिऔढव - सम्पूर्ण
थाटकाफी
वादी - संवादीगंधार - निषाद
समयदिन का तीसरा प्रहर
विश्रांति स्थानसा; ग; प; नि; - नि१; प; ग१;
मुख्य अंगग म प नि सा' ; नि१ ध प ; म प नि ध१ प ; म ग१ रे सा ; प ग१ रे सा ,नि ; सा ग१ रे सा ;
आरोह - अवरोहसा ग म प नि सा' - सा' नि१ ध प म ग१ रे सा ; ,नि सा ग१ रे सा ;

,प ,नि सा ग१ ; ग१ रे सा ,नि ; ,नि सा – यह राग पीलू की राग वाचक स्वर संगती है। इस राग में कोमल गंधार और मन्द्र सप्तक के शुद्ध निषाद पर विश्रांति दी जाती है, जिससे पीलू राग एकदम प्रदर्शित होता है। इस राग में कोमल निषाद के साथ धैवत शुद्ध और शुद्ध निषाद के साथ धैवत कोमल लिया जाता है।

यह चंचल प्रकृति का राग है। यह करुणा तथा भक्ति रस प्रधान राग है। इसलिये यह राग ठुमरी व भजन के लिए उपयुक्त है। इस राग का विस्तार मन्द्र और मध्य सप्तक में विशेष रूप से किया जाता है।

यह स्वर संगतियाँ राग पीलू का रूप दर्शाती हैं –

सा ; ग१ रे सा ,नि ; ,म ,प ,नि सा ग१ रे सा ; सा ,नि ,ध१ ,प ; ,प ,नि सा ग१ ; ग१ म प (म)ग१ ; ग१ (रे)सा ,नि ; सा ; सा ग ; ग म ग१ (रे)सा ; सा ग म प ; नि१ ध प ; ग म ध प ग१ रे सा ,नि ; सा ,नि सा रे ; सा ,नि ,ध ,प ; ,म ,प ,नि ,नि सा ;

राग पीलू की बन्दिशें

ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं, और उनकी पुस्तक ‘आचार्य तनरंग की बन्दिशें भाग 3’ में प्रकाशित की गयीं हैं। इस पुस्तक में 28 रागों की कुल 440 बन्दिशें हैं। इस पुस्तक को खरीदने के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।

1
ठुमरी - नैना कजर बिन कारे
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्रृंगार रस
2
ठुमरी - गोरी तोरे नैना जुलम करें
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्रृंगार रस
3
दादरा - बाँके सलोने मद भरे नैना
ताल - दादरा द्रुत
प्रसंग - श्रृंगार रस
4
छोटा ख्याल - साँवरिया ने मुरली बजाई
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - मुरलीधर
5
छोटा ख्याल - उन संग लागी हो अखियाँ
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्रृंगार रस
6
सरगम - ग सा ग म प ध प
ताल - रूपक द्रुत