राग केदार

स्वरआरोह में रिषभ व गंधार वर्ज्य। अवरोह में गंधार अल्प। मध्यम दोनो। शेष शुद्ध स्वर।
जातिऔढव - सम्पूर्ण वक्र
थाटकल्याण
वादी - संवादीमध्यम - षड्ज
समयरात्रि का प्रथम प्रहर
विश्रांति स्थानसा; म; प; - सा'; प; म;
मुख्य अंगसा म ; म प ; म् प ध प म ; सा रे सा ; म् प ध प म् प सा' ; सा' रे' सा' सा' ध ध प ;
आरोह - अवरोहसा म प ध नि सा' - सा' नि ध प ; म् प ध प ; म म रे सा;

रात्रि के प्रथम प्रहर में गाई जाने वाली यह रागिनी करुणा रस से परिपूर्ण तथा बहुत मधुर है। इस राग में उष्णता का गुण है इसलिये यह दीपक की रागिनी मानी जाती है। कुछ विद्वान इस राग के अवरोह में गंधार का प्रयोग न करके इसे औढव-षाढव मानते हैं। गंधार का अल्प प्रयोग करने से राग की मिठास और सुन्दरता बढती है। गंधार का अल्प प्रयोग मध्यम को वक्र करके अथवा मींड के साथ किया जाता है, जैसे – सा म ग प; म् प ध प ; म ग रे सा। इस अल्प प्रयोग को छोडकर अन्यथा म् प ध प ; म म रे सा ऐसे किया जाता है।

मध्यम स्वर से उठाव करते समय मध्यम तीव्र का प्रयोग किया जाता है यथा – म् प ध प ; म् प ध नि सा’; म् प ध प सा’; इस प्रकार पंचम से सीधे तार सप्तक के सा तक पहुंचा जाता है। अवरोह में निषाद का प्रयोग अपेक्षाक्रुत कम किया जाता है जैसे – सा’ रे’ सा’ सा’ ध ध प। मध्यम शुद्ध की अधिकता के कारण षड्ज मध्यम भाव के प्रयोग में निषाद कोमल का प्रयोग राग सौन्दर्य के लिये अल्प मात्रा में किया जाता है जैसे – म् प ध नि१ ध प म। दोनों मध्यम का प्रयोग साथ साथ करने से राग की सुंदरता बढती है। यह राग उत्तरांग प्रधान है।

राग केदार की बन्दिशें

ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं, और उनकी पुस्तक ‘आचार्य तनरंग की बन्दिशें भाग 1′ में प्रकाशित की गयीं हैं। इस पुस्तक में 31 रागों की कुल 389 बन्दिशें हैं। इस पुस्तक को खरीदने के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।

1
बडा ख्याल - बरखा रुत की चांदनी
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - विरह रस, वर्षा ऋतू
2
बडा ख्याल - मोरी लगन लागी री माई
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - सुर साधना
3
मध्य लय ख्याल - जाके कारण प्रगट भए श्री राम
ताल - झपताल मध्य लय
प्रसंग - श्री राम
4
छोटा ख्याल - तनरंग मधुर बतियाँ करे
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़
5
छोटा ख्याल - अंबुवा बौराने री
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस, बसंत बहार
6
छोटा ख्याल - बाजे बाजे पग नुपुर पैंजनी
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - रास लीला
7
छोटा ख्याल - डार डार पर बोलत कोयलिया एरी आली
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस, वर्षा ऋतू
8
छोटा ख्याल - गरजे रे घटा घन
ताल - एकताल द्रुत
प्रसंग - वर्षा ऋतू
9
छोटा ख्याल - मोरी पायल झनन झनन बाजे
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्रृंगार रस
10
सरगम - सा रे सा प प म प ध म म
ताल - दादरा द्रुत