राग कीरवाणी

स्वरगन्धार, धैवत कोमल। शेष शुद्ध स्वर।
जातिसम्पूर्ण - सम्पूर्ण
थाटकिसी भी थाट के अंतर्गत नहीं
वादी - संवादीपंचम - षड्ज
समयरात्रि का दूसरा प्रहर
विश्रांति स्थानसा रे प - सा' प रे
मुख्य अंगप ध१ सा' ; सा' नि सा' रे' ग' रे' सा' नि ध१ प ; ध१ प म प ; प म ग१ रे ; ग१ म ; ग१ रे सा ,नि ,ध१ ,नि रे सा ;
आरोह - अवरोहसा रे ग१ म प ध१ नि सा' - सा' नि ध१ प म ग१ रे सा ;

राग कीरवाणी कर्नाटक संगीत से हिन्दुस्तानी संगीत में लिया हुआ राग है। इस राग का वाद्य संगीत में ज्यादा प्रयोग किया जाता है। यह चन्चल प्रक्रुति का राग होने कि वजह से इसमे ठुमरी जैसी बंदिशें ज्यादा प्रचिलित हैं। फिल्म संगीत में भी इस राग का बहुत उपयोग किया जाता है।

यह स्वर संगतियाँ राग कीरवाणी का रूप दर्शाती हैं –

सा रे ग१ म ध१ प ; ध१ प म ग१ रे ग१ म प ; प ध१ नि सा’ नि ध१ प ; प ध१ नि सा’ ; प ध१ सा’ रे’ ; सा’ रे’ ग१’ रे’ सा’ नि ध१ प ; प ध१ नि रे’ नि ध१ ; नि ध१ म ; ध१ म ग१ रे१; ग१ प म ग१ रे सा ,नि ; ग१ रे सा ,नि ,ध१ ,नि रे सा ;

राग कीरवाणी की बन्दिशें

ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं, और उनकी पुस्तक ‘आचार्य तनरंग की बन्दिशें भाग 3’ में प्रकाशित की गयीं हैं। इस पुस्तक में 28 रागों की कुल 440 बन्दिशें हैं। इस पुस्तक को खरीदने के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।

1
बड़ा ख्याल - छाये रहे परदेस
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - विरह रस
2
सादरा - तकत रही मैं
ताल - झपताल विलम्बित
प्रसंग - विरह रस
3
सादरा - दरस कैसे पाऊ
ताल - झपताल विलम्बित
प्रसंग - विरह रस
4
मध्य लय ख्याल - हो नन्द लाल
ताल - रूपक मध्य लय
प्रसंग - श्री कृष्ण - भक्ति रस
5
छोटा ख्याल - आली री मै कैसे करुँ
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
6
छोटा ख्याल - बंसी के बजैया नटवर
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़
7
छोटा ख्याल - बिसराई सुध बुध सारी
ताल - एकताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों की व्याकुलता
8
छोटा ख्याल - हो अखियाँ लागी तुमसोँ
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
9
छोटा ख्याल - जिन रोक तनरंगवा गैल
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़
10
छोटा ख्याल - कैसे समझाऊँ रे सजनवा
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस, श्री कृष्ण - गोपियों की व्याकुलता
11
छोटा ख्याल - सजन परदेस गए
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
12
छोटा ख्याल - मन नाही लागे मोरा
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
13
होरी - आई सखि खेलन होली
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - होरी
14
छोटा ख्याल - बावरिया गोरी राधा संग
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - रास लीला
15
छोटा ख्याल - रे सजना तनरंग रसिया
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
16
सरगम - प ध नि रे सा सा नि
ताल - त्रिताल द्रुत

राग कीरवाणी – आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’

छोटा ख्याल – मन नाही लागे मोरा, ताल – त्रिताल