स्वर | आरोह में निषाद वर्ज्य। अवरोह में निषाद कोमल। शेष शुद्ध स्वर। |
जाति | षाढव - सम्पूर्ण वक्र |
थाट | खमाज |
वादी - संवादी | गंधार - धैवत |
समय | रात्रि का दूसरा प्रहर |
विश्रांति स्थान | सा; प; - ध; प; ग; सा; |
मुख्य अंग | सा रे म ग म सा ; रे म प ध ; नि१ नि१ ध प ध प ; म प ध सा' ; प ध सा' रे' ग' सा'; रे' नि१ ध सा' ; ध म प ; ग म सा ; रे ,नि१ ,ध सा ; |
आरोह - अवरोह | सा रे म प ध सा' - सा' नि१ ध प ध ; म प ; ग म सा ; रे ,नि१ ,ध सा; |
राग खम्बावती बहुत ही मधुर राग है। राग झिंझोटी, जो की ज्यादा प्रचलन में है, इससे मिलता जुलता राग है। ग म सा – यह राग खम्बावती की राग वाचक स्वर संगति है। सामान्यतया इस राग का आरोह सा रे म प ध सा है परन्तु गंधार का उपयोग आरोह में ग म सा इस स्वर संगती में ही किया जाता है। कभी-कभी आरोह में शुद्ध निषाद का प्रयोग म प नि नि सा’ इस तरह से किया जाता है।
अवरोह में सा’ नि१ ध प म ग म सा या सा’; नि१ ध; प ध; म प; ग म; सा या सा’; ध नि१; प ध; म प; ग म; सा लिया जाता है। कभी कभी म प ग सा या ग रे ग सा इस तरह से भी अवरोह में भी लिया जा सकता है। यह स्वर संगतियाँ राग खम्बावती का रूप दर्शाती हैं –
रे रे म म प ; म प ध नि१ नि१ ध ; म प ध सा’ ; ध सा’ रे’ नि१ नि१ ध ; प ध म प ; म ग म सा ; सा रे ,नि१ ,नि१ ,ध ; ,ध सा रे म ग सा ; ध म ; प ग ; म सा ; रे ,नि१ ,ध सा ; ग रे ग सा ;
राग खम्बावती की बन्दिशें
ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।अधिक जानकारी के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें।
1 | बड़ा ख्याल - ये मग जैहो पियरवा ताल - एकताल विलम्बित प्रसंग - भक्ति रस | |
2 | सादरा - घर आये पिया हुलसत मोरा ताल - झपताल विलम्बित प्रसंग - विरह रस | |
3 | सादरा - बालम हरजाई अब आये ताल - झपताल विलम्बित प्रसंग - रूठना मनाना | |
4 | सादरा - गिनत रही तारे पिया नाही आये ताल - झपताल विलम्बित प्रसंग - विरह रस | |
5 | सादरा - पलकन झारुंगी मगवा ताल - झपताल विलम्बित प्रसंग - श्रृंगार रस | |
6 | मध्य लय ख्याल - बूंदन झर लागी ताल - झपताल मध्य लय प्रसंग - विरह रस | |
7 | मध्य लय ख्याल - निंदरिया बिसरी ताल - झपताल मध्य लय प्रसंग - विरह रस | |
8 | छोटा ख्याल - बहुत दिन बीते बीते री ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - विरह रस | |
9 | छोटा ख्याल - छबि निरखत मुस्कावत ताल - एकताल द्रुत प्रसंग - श्री राम | |
10 | छोटा ख्याल - छाय रहे परदेस रसिया ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - विरह रस | |
11 | छोटा ख्याल - कैसे मनाउँ मोरी आलीरी ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - रूठना मनाना | |
12 | छोटा ख्याल - मंदिरवा आये ना पिया ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - विरह रस | |
13 | छोटा ख्याल - नैया पडी मझधार मोरी ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - भक्ति रस | |
14 | छोटा ख्याल - पल पल छिन छिन ऊमर घटत है ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - भक्ति रस, जीवन दर्शन | |
15 | छोटा ख्याल - पिया बिन मोरा लागे ना जिया ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - विरह रस | |
16 | छोटा ख्याल - साजन आये मोरे मंदरवा ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्रृंगार रस | |
17 | छोटा ख्याल - तरस रहे नैना मोरे आज ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों की व्याकुलता | |
18 | छोटा ख्याल - उडत मधु गंध भीनी सब कुंज ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - महिमा वर्णन | |
19 | छोटा ख्याल - ऊलझे नैनवा री सजनी ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्रृंगार रस | |
20 | छोटा ख्याल - मालनियाँ गूंध लाओ ताल - एकताल द्रुत प्रसंग - श्रृंगार रस | |
21 | सरगम - रे म प ध सा ताल - त्रिताल द्रुत |
राग खम्बावती – श्री विश्वजीत विश्वनाथ रिंगे
छोटा ख्याल – छाय रहे परदेस रसिया ताल – त्रिताल
छोटा ख्याल – मालनियाँ गूंध लाओ ताल – एकताल द्रुत