राग जोगकौंस

स्वररिषभ वर्ज्य। दोनों निषाद, दोनों गंधार, धैवत कोमल। शेष शुद्ध स्वर।
जातिषाढव - षाढव वक्र
थाटभैरवी
वादी - संवादीमध्यम - षड्ज
समयरात्रि का तीसरा प्रहर
विश्रांति स्थानसा; म; - म; सा;
मुख्य अंगग म ; ग म प म ; ग म ध१ नि सा' ; सा' नि ध१ ; प ध१ नि१ ध१ म प म ; ग म (सा)ग१ सा ;
आरोह - अवरोहसा ग म ध१ नि सा' - सा' नि ध१ प म ; प ध१ नि१ ध१ प म ; ग म (सा)ग१ सा ;

राग जोगकौंस एक अपेक्षाकृत नया राग है जो पंडित जगन्नाथ बुआ पुरोहित ‘गुणीदास’ द्वारा बनाया गया है। यह राग जोग और राग चंद्रकौंस के मिश्रण से बना है।

इस राग के पूर्वांग में राग जोग झलकता है जैसे – सा ग म प म ; ग म ग ग१ सा; या ग म ग१ सा, उत्तरांग में राग चंद्रकौंस झलकता है जैसे – म ध१ नि सा’ ; सा’ ग१’ सा’ ; नि ध१, उसके पश्चात एक विशेष स्वर समूह प ध१ नि१ ध१ प म जोड़ा जाता है। शुद्ध निषाद का प्रयोग आरोह और अवरोह दोनों में किया जाता है परन्तु कोमल निषाद का प्रयोग सिर्फ अवरोह में विशेष स्वर समूह (प ध१ नि१ ध१ प म; या ध१ नि१ ध१ प म; या नि१ ध१ प म;) में ही किया जाता है। यही स्वर समूह इस राग की पहचान बढ़ाता है और सुंदरता देता है। इस तरह पंचम स्वर का उपयोग आरोह में सिर्फ इसी स्वर समुदाय में किया जाता है।

इस राग में मध्यम स्वर बहुत प्रभावशाली है। इस राग को तीनों सप्तकों में उन्मुक्त रूप से गाया जा सकता है। यह स्वर संगतियाँ राग जोगकौंस का रूप दर्शाती हैं –

सा ग म (सा)ग१ सा ; सा ग म प म ; ग म नि ध१ ; ध१ नि सा’ ; सा’ ग१’ सा’ नि ध१ ; प ध१ नि१ ध१ प म ; म प म ग म ग१ सा ; म ध१ नि सा’ ; ग’ सा’ नि ध१ ; ध१ नि ध१ प म ; ग म प म ग म (सा)ग१ सा;

राग जोगकौंस की बन्दिशें

ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।अधिक जानकारी के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें

1
बड़ा ख्याल - ए बलमा बिना मोरा लागे ना जिया
ताल - तिलवाड़ा विलम्बित
प्रसंग - विरह रस
2
सादरा - परम सुख पायो री
ताल - झपताल विलम्बित
प्रसंग - श्रृंगार रस
3
सादरा - तरस रहे नैनवा
ताल - झपताल विलम्बित
प्रसंग - विरह रस
4
छोटा ख्याल - मोरी कही मान ले रे
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - रूठना मनाना
5
छोटा ख्याल - झूठी प्रीत जताए सजनवा
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - रूठना मनाना
6
छोटा ख्याल - करार ले गई रे
ताल - एकताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
7
छोटा ख्याल - मन मोरी कही रे मितुवा
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - रूठना मनाना
8
छोटा ख्याल - ना पिया मोरे आये घरवा
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
9
छोटा ख्याल - निंदिया ना जगा रे पिया अब
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - रूठना मनाना
10
छोटा ख्याल - सुर दान दे एरी माई
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - माँ सरस्वती
11
छोटा ख्याल - गगरी गिराई काहे
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़
12
छोटा ख्याल - मानो मानो मानो मुरारी
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों की व्याकुलता
13
सरगम - नि सा ग म म ध नि ध
ताल - त्रिताल द्रुत