राग जोगिया

स्वरआरोह में गंधार व निषाद वर्ज्य, अवरोह में गंधार वर्ज्य। रिषभ व धैवत कोमल। शेष शुद्ध स्वर।
जातिऔढव - षाढव
थाटभैरव
वादी - संवादीमध्यम - षड्ज
समयब्राह्म मुहुर्त
विश्रांति स्थानसा; म; प; ध१; - सा'; ध१; म; रे१;
मुख्य अंगरे१ म म ; म प ध१ ; प ध१ नि ध१ प ; प ध१ म रे१ सा;
आरोह - अवरोहसा रे१ म प ध१ सा' - सा' नि ध१ प ; म म रे१ सा ;

राग जोगिया को जोगी नाम से भी जाना जाता है। राग भैरव के सामन ही इसमें रिषभ और धैवत कोमल लगते हैं, पर उन्हे लगाने का ढंग अलग होता है। राग भैरव में रिषभ और धैवत को आंदोलित किया जाता है वैसा आंदोलन जोगिया में कदापि नहीं किया जाता। अवरोह में निषाद का प्रयोग अल्प होता है और उसे सा से  पर जाते हुए कण के साथ में प्रयोग करते हैं। कभी कभी अवरोह में कोमल निषाद को भी कोमल धैवत के साथ कण के रूप में लगाते हैं जिससे राग और भी सुहवना लगता है। इस राग में रे१-म और ध१-म का प्रयोग मींड के साथ अधिक किया जाता है।

मध्यम को विस्तार के साथ बार बार लिया जाता है। राग का विस्तार मध्य और तार सप्तक में आकर्षक दिखता है। कोमल रिषभ और कोमल धैवत करुण रस के परिपोषक हैं। इस राग में वैराग्य और भक्ति की भावना उमडती है। यह एक गंभीर प्रकृति का राग है। यह स्वर संगतियाँ राग जोगिया का रूप दर्शाती हैं –

सा रे१ सा ,ध१ सा ; सा रे१ म ; म प ; प म रे१ सा ; रे१ सा ,ध१ सा ; रे१ म प ; म प ध१ सा’ ; सा’ (नि)ध१ प ; म प ध१ (नि१)ध१ म ; म रे१ सा ; ,ध१ सा ;

राग जोगिया की बन्दिशें

ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं, और उनकी पुस्तक ‘आचार्य तनरंग की बन्दिशें भाग 1′ में प्रकाशित की गयीं हैं। इस पुस्तक में 31 रागों की कुल 389 बन्दिशें हैं। इस पुस्तक को खरीदने के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।

1
सादरा - भज ले रे राम मन तू
ताल - झपताल विलम्बित
प्रसंग - श्री राम, जीवन दर्शन
2
मध्य लय ख्याल - सूरत बिसरे नाही मन सोँ
ताल - रूपक मध्य लय
प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों की व्याकुलता
3
मध्य लय ख्याल - मूरत मन भाई
ताल - झपताल मध्य लय
प्रसंग - श्री कृष्ण - बाल्यकाल
4
मध्य लय ख्याल/ध्रुवपद - जय जय जय त्रिपुरारी
ताल - चौताल मध्य लय
प्रसंग - श्री शंकर शंभु
5
छोटा ख्याल - अब तुम जागो जागो नंदलाल
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - बाल्यकाल, सूर्योदय समय
6
छोटा ख्याल - भज ले रे मन राम रघुत्तम
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री राम, जीवन दर्शन
7
छोटा ख्याल - खिडकियाँ खोल दे मोरी गुइयाँ
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
8
छोटा ख्याल - मोरी अरज सुनो करतार
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - भक्ति रस
9
छोटा ख्याल - वासुदेव वासुदेव भज ले रे मन तू
ताल - दादरा द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - भक्ति रस
10
सरगम - रे सा ध ध प म प म रे सा
ताल - झपताल द्रुत