राग देसी

स्वरआरोह में गंधार, धैवत वर्ज्य। अवरोह में निषाद वर्ज्य। गंधार, निषाद कोमल। शेष शुद्ध स्वर।
जातिऔढव - षाढव वक्र
थाटकाफी
वादी - संवादीपंचम - षड्ज
समयदिन का प्रथम प्रहर
विश्रांति स्थानसा; रे; प; - सा; प; रे;
मुख्य अंगरे म प ; ध म प सा' ; सा' प ध म प ; रे ग१ सा रे ,नि१ सा;
आरोह - अवरोहसा रे म प नि१ सा' - सा' प ध म प रे ग१ सा रे ,नि१ सा;

यह स्वर संगतियाँ राग देसी का रूप दर्शाती हैं –

रे म प ध ; म प ; रे ग१ ; सा रे ; ,नि१ सा

राग देसी की बन्दिशें

1
सादरा - आंगनवा झारुँ चौक पुराऊँ
ताल - झपताल विलम्बित
प्रसंग - श्रृंगार रस
2
मध्य लय ख्याल - गोविन्द की बेनु
ताल - झपताल मध्य लय
प्रसंग - श्री कृष्ण - मुरलीधर
3
छोटा ख्याल - जियरा तरसे री मोरी गुईयाँ
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
4
छोटा ख्याल - कदर मोरी रे ना जानी
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - रूठना मनाना
5
छोटा ख्याल - कलना आये री मैको
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
6
छोटा ख्याल - मोहे अब घर को जाने दे
ताल - एकताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़
7
सरगम - रे म प ध म प
ताल - एकताल द्रुत