राग धनाश्री (भैरवी अंग)

स्वरआरोह में रिषभ, धैवत वर्ज्य। रिषभ, गंधार, धैवत, निषाद कोमल। शेष शुद्ध स्वर।
जातिऔढव - संपूर्ण
थाटभैरवी
वादी - संवादीपंचम - षड्ज
समयदिन का तीसरा प्रहर
विश्रांति स्थानसा; प; - सा'; प; ग१;
मुख्य अंगसा ; ग१ म प नि१ ध१ प ; प ध१ म प ग१ ; म ग१ रे१ सा ; ग१ म प ग१ रे१ सा ;
आरोह - अवरोह,नि१ सा ग१ म प नि१ सा' - सा' नि१ ध१ प म प ग१ म ग१ रे१ सा ;

राग धनाश्री को दो अंगों से गाते हैं – भैरवी अंग और भीमपलासी अंग। दोनों प्रकारों के आरोह में रिषभ व धैवत वर्ज्य होता है और अवरोह संपूर्ण होता है।

भैरवी अंग वाले राग धनाश्री में रिषभ, गंधार, धैवत और निषाद ये चारों स्वर कोमल लिए जाते हैं जबकि भीमपलासी अंग वाले राग धनाश्री में (जिसका की थाट काफी है) केवल गंधार और निषाद ही कोमल होते हैं। अर्थात दोनों अंगों वाले धनाश्री में आरोह – ,नि१ सा ग१ म प नि१ सा’ ही होता है। भैरवी अंग वाले राग धनाश्री का अवरोह – सा’ नि१ ध१ प म प ग१ म ग१ रे१ सा होता है जबकि भीमपलासी अंग वाले राग धनाश्री का अवरोह – सा’ नि१ ध प म प ग१ म ग१ रे सा होता है।

भीमपलासी अंग वाले राग धनाश्री के आरोह और अवरोह राग भीमपलासी के सामान ही होते हैं परन्तु इन दोनों रागों में अंतर केवल वादी स्वर का ही है। भीमपलासी अंग वाले धनाश्री में पंचम वादी है जबकि राग भीमपलासी में मध्यम वादी होता है तथा इस राग में प-ग१ की संगती राग भीमपलासी से अधिक आती है। यह दोनों राग एक जैसे होने के कारण इनमें गाते समय अलग अलग भेद रखना बहुत कठिन हो जाता है और गायक को बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।

भैरवी अंग वाले राग धनाश्री में भी, भीमपलासी अंग वाले राग धनाश्री के समान वादी पंचम और संवादी षड्ज होता है, और प-ग१ की संगती होती है परन्तु रिषभ, गंधार, धैवत और निषाद ये सभी स्वर कोमल होने के कारण इस राग को अलग पहचान मिलती है और एक अलग ही वातावरण का निर्माण होता है। राग धनाश्री का स्वरुप इस प्रकार है – 

,नि१ सा ग१ रे१ सा ; ,नि१ सा ग१ म प ; प ध१ म प ग१ ; ग१ म प ग१ ; म ग१ रे१ सा ; ,नि१ सा ग१ म प ; ग१ म प नि१ ध१ प ; प ; ग१ म प नि१ सा’ ; नि१ सा’ रे१’ नि१ सा’ नि१ ध१ प ; प ध१ म प ग१ ; ग१ म प ग१ रे१ सा; प ; ग१ म प नि१ सा’ ; प नि१ सा’ ग१’ रे१’ सा’; ग१’ रे१’ सा’ नि१ ; सा’ नि१ ध१ प ; प ध१ नि१ ध१ ; नि१ ध१ म प ग१ म ; ग१ म प ग१ म ग१ रे१ सा;

राग धनाश्री की बन्दिशें

ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें

1
बड़ा ख्याल - हो हरजाई तुम आये अब
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - विरह रस
2
मध्य लय ख्याल - फूलन की कलियाँ
ताल - झपताल मध्य लय
प्रसंग - श्रृंगार रस
3
मध्य लय ख्याल/दादरा - आयो सखी सावनवा
ताल - दादरा मध्य लय
प्रसंग - विरह रस, वर्षा ऋतू
4
छोटा ख्याल - कबहुँ बिसरे नाही तनरंग सों
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - सूर्योदय समय
5
छोटा ख्याल - कजरारे नैन अलबेले
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों की व्याकुलता
6
छोटा ख्याल - करम करो करतार साईं
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - भक्ति रस
7
छोटा ख्याल - मान ले कही मोरी
ताल - एकताल द्रुत
प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़
8
छोटा ख्याल - साजन आये मोरे मंदरवा
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्रृंगार रस
9
तराना - द्रे तन देरेना उद तन देरेना
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - नृत्य के लिए उपयोगी
10
सरगम - रे नि सा ग म प
ताल - त्रिताल द्रुत