स्वर | रिषभ व पंचम वर्ज्य। धैवत व निषाद कोमल, दोनों गंधार। शेष शुद्ध स्वर। |
जाति | औढव - औढव |
थाट | भैरवी |
वादी - संवादी | मध्यम - षड्ज |
समय | रात्रि का दूसरा प्रहर |
विश्रांति स्थान | सा; ग; म; ध१; नि१; - नि१; ध१; म; सा; |
मुख्य अंग | सा ग म ग१ सा ; ,नि१ ,ध१ ; ,नि१ सा ; सा म ग ; म ध१ नि१ ध१ म ग ; म ग ग१ सा ; |
आरोह - अवरोह | सा ग म ध१ नि१ सा' - सा' नि१ ध१ म ग१ सा; |
राग मालकौंस में यदि आरोह में गंधार शुद्ध और अवरोह में गंधार कोमल का प्रयोग किया जाय तो वह राग मोहनकौंस बन जायेगा। यह राग पूर्वांग में राग जोग और उत्तरांग में राग मालकौंस का मिश्रण है। यह एक सीधा राग है और इसे तीनों सप्तकों में उन्मुक्त रूप से गाया जा सकता है। यह राग एक शांत और गंभीर वातावरण पैदा करता है। यह स्वर संगतियाँ राग मोहनकौंस का रूप दर्शाती हैं – सा ,नि१ ,ध१ ; ,ध१ ,नि१ सा ; सा ग ग म ; ग म ग१ सा ; ग म ध१ म ; ध१ नि१ सा’ ; सा’ ग१’ सा’ नि१ ध१ म ग ; म नि१ ध१ म ग ; म ध१ ग ; म ग१ सा;
यह राग बहुत ही मधुर परंतु अपेक्षाकृत नया होने के कारण बहुत प्रचलन में नहीं है। परंतु उस्ताद सलामत अली और नज़ाकत अली खान द्वारा यह राग गाया गया है। जिससे प्रभावित हो कर आचार्य तनरंग जी ने मोहनकौंस में बंदिशों की रचना की है।
मूलतः महात्मा गाँधी को समर्पित करते हुए पंडित रवि शंकर जी ने राग मोहनकौंस की रचना की है, जो इस प्रकार है – सा ग म ध१ नि१ सा’ – सा’ नि१ ध१ म ग ; म रे ग म सा; पंडित रवि शंकर जी ने कोमल गंधार का कण स्वर के रूप में बहुत ही अल्प प्रयोग किया है और शुद्ध रिषभ का प्रयोग आरोह में विशिष्ट प्रकार से किया गया है, जैसे – सा ग म ; म ग रे ग म ; ग सा; अथवा सा ग म ; म रे ग म ; सा;
राग मोहनकौंस की बन्दिशें
ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।अधिक जानकारी के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें।
1 | बड़ा ख्याल - तू करतार जग को प्रति पालनहार ताल - झूमरा विलम्बित प्रसंग - भक्ति रस | |
2 | सादरा - दरबार गावे प्रभु को रिझावे ताल - झपताल विलम्बित प्रसंग - भक्ति रस | |
3 | सादरा - मोरा मन लागो रे पिया ताल - झपताल विलम्बित प्रसंग - विरह रस | |
4 | मध्य लय ख्याल - लागत पद कमल सीरी गुरु ताल - झपताल मध्य लय प्रसंग - गुरु वंदना | |
5 | छोटा ख्याल - आई सहेलारियाँ सज धज ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्रृंगार रस | |
6 | छोटा ख्याल - आये आये मेहरबाँ घरवा ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्रृंगार रस | |
7 | छोटा ख्याल - आये मोरे मंदरवा पिया ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्रृंगार रस | |
8 | छोटा ख्याल - गावत गुण लय सुर सों ताल - एकताल द्रुत प्रसंग - सुर साधना | |
9 | छोटा ख्याल - गिन बिताऊं घड़ियां तनरंग बिन ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - विरह रस | |
10 | छोटा ख्याल - मै तो तनरंग संग निस जागी रे ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्रृंगार रस | |
11 | छोटा ख्याल - मोरा रंगीला बलमा ताल - एकताल द्रुत प्रसंग - विरह रस | |
12 | छोटा ख्याल - प्रीतम संग लागे नैना ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - विरह रस | |
13 | छोटा ख्याल - साजन घर को आएना ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - विरह रस | |
14 | छोटा ख्याल - सौतन संग तनरंग बिलम रहे ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - विरह रस | |
15 | छोटा ख्याल - तनिक सुन ले मोरी बिथा ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - विरह रस | |
16 | सरगम - ग म ग सा ध नि सा ग म ताल - एकताल द्रुत |
राग मोहनकौंस – श्री कृष्णा जी टोले
बडा ख्याल – तू करतार जग को प्रति पालनहार ताल – झूमरा विलम्बित
छोटा ख्याल – मोरा रंगीला बलमा ताल – एकताल द्रुत