राग रामदासी मल्हार

स्वरदोनों गंधार, दोनों निषाद। शेष शुद्ध स्वर।
जातिसम्पूर्ण - सम्पूर्ण वक्र
थाटकाफी
वादी - संवादीमध्यम - षड्ज
समयवर्षा ऋतु
विश्रांति स्थानसा; म; प;
मुख्य अंगसा रे ग म ; म रे प ; प ग म ; प ग१ ग१ म रे सा ;
आरोह - अवरोह,नि सा रे ग म ; प ग म , रे प ; म प ध नि सा' - सा' नि१ ध नि१ प ; ध प म ग म ; प ग१ ग१ म रे सा;

राग रामदासी मल्हार बहुत ही मधुर लेकिन अप्रसिद्ध राग है। यह राग शहंशाह अकबर के दरबार गायक श्री रामदास जी द्वारा निर्मित है। दोनों गंधार लगने के कारण यह सभी मल्हार के प्रकारों से भिन्न हो जाता है। अवरोह में कोमल गंधार वक्र रूप से लगाया जाता है जैसे- प ग म रे सा ; और आलाप और तानों का अंत इन्ही स्वरों से होता है। इस राग में मध्यम-रिषभ (म-रे), रिषभ-पंचम (रे-प) और निषाद-पंचम (नि-प) की संगति होती है।

इस राग का विस्तार मध्य और तार सप्तक में किया जा सकता है। इस राग की प्रकृति शांत और गंभीर है। यह स्वर संगतियाँ राग रामदासी मल्हार का रूप दर्शाती हैं –

सा म रे प ; प ग१ ग१ म रे सा ; सा रे ग ग म ; म ग म ; (नि१)प ग१ ग१ म ; रे सा ; म रे प ; म प ध नि सा’ ; सा’ नि१ ध नि१ प ; म प ध नि१ प ; ध प म ग म ; (नि१)प ग१ ग१ म रे सा;

राग रामदासी मल्हार की बन्दिशें

ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं, और उनकी पुस्तक ‘आचार्य तनरंग की बन्दिशें भाग 3’ में प्रकाशित की गयीं हैं। इस पुस्तक में 28 रागों की कुल 440 बन्दिशें हैं। इस पुस्तक को खरीदने के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।

1
बडा ख्याल - बादर कारे गरजत
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - वर्षा ऋतू
2
बडा ख्याल - तेरो ही छैल मो सों करत बरजोरी
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़
3
बडा ख्याल - ए री समधन कहे
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - श्री कृष्ण - गोपियों से छेड़छाड़
4
सादरा - कारी घटा घन घोर छाई
ताल - झपताल विलम्बित
प्रसंग - वर्षा ऋतू
5
छोटा ख्याल - बूंदरिया झर लागी
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - वर्षा ऋतू, विरह रस
6
छोटा ख्याल - गरजत आये घन
ताल - एकताल द्रुत
प्रसंग - वर्षा ऋतू, विरह रस
7
छोटा ख्याल - बादरवा अत घोर घोर सों
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - वर्षा ऋतू, विरह रस
8
छोटा ख्याल - झूम बरसे गरजे बदरवा
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - वर्षा ऋतू
9
छोटा ख्याल - सावन घन गरजे बरसे
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - वर्षा ऋतू
10
सरगम - रे ग म प ग म
ताल - एकताल द्रुत