स्वर | मध्यम वर्ज्य। रिषभ, गंधार, निषाद कोमल। शेष शुद्ध स्वर। |
जाति | षाढ़व - षाढ़व |
थाट | तोड़ी |
वादी - संवादी | पंचम - षड्ज |
समय | दिन का द्वितीय प्रहर |
विश्रांति स्थान | सा, ग१, प |
मुख्य अंग | ग१ प ध नि१ ध प ; ध नि१ ध सा'; सा' नि१ ध प , ध नि१ ध प , रे१ ग१ रे१ सा ; |
आरोह - अवरोह | सा रे१ ग१ प ध नि१ सा' - सा' नि१ ध प ग१ रे१ सा; |
यह राग सालग वराली तोड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस राग को दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति से हिंदुस्तानी संगीत पद्धति में कुछ बदलाव करके लाया गया है, परन्तु प्रचार में कम आया है।
इस राग में, पूर्वांग में राग तोड़ी, और उत्तरांग में राग अहीर भैरव, ऐसे दो रागों का मिश्रण, इसे मधुरता प्रदान करता है। इस राग के पूर्वांग में राग तोड़ी के समान कोमल गंधार का झुकाव कोमल रिषभ की तरफ होता है। पंचम महत्त्वपूर्ण न्यास का स्वर है। धैवत को दीर्घ किया जाता है परन्तु उस पर न्यास नहीं किया जाता।
उत्तरांग में षड्ज की ओर जाते समय प्रायः निषाद को छोड़ दिया जाता है यथाः प ध नि१ ध सा’ ; ध नि१ ध सा’; हालांकि सीधा प ध नि१ सा’ ; प ध नि१ , ध नि१ सा’ बेशक लिया जा सकता है। अवरोह में प ग१ रे१ ग१ रे१ सा ; अथवा प रे१ ग१ रे१ सा ; इस तरह किसी भी प्रकार से लिया जा सकता है।
इस राग में किसी भी प्रकार की वक्रता न होते हुए भी इस राग को निभाने हेतु अतिरिक्त सावधानी की आवश्यकता होती है। इस राग का विस्तार तीनों सप्तकों में किया जा सकता है। इस राग की प्रकृति गंभीर है। इस राग का स्वरुप इस प्रकार है –
सा ; ,नि१ ,ध ; ,ध ,नि१ सा ; सा रे१ ग१ रे१ सा ; ,नि१ सा रे१ ग१ प ; प ग१ ; प रे१ ग१ ; ग१ रे१ सा ,नि१ ,ध ; ,ध सा ,नि१ रे१ ,नि१ ,ध सा ; रे१ ग१ प ; प ध ; ध नि१ ध प ; ग१ प ध नि१ ध ; सा’ नि१ ध प ; ध नि१ ध सा’ ; प ध नि१ ध सा’ ; नि१ सा’ रे१’ सा’ ; सा’ नि१ ध प ; ध प ग१ रे१ ; ग१ प ; रे१ ग१ रे१ सा ;
राग सालग वराली की बन्दिशें
ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।अधिक जानकारी के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें।
1 | बड़ा ख्याल - शुभ दिन आयो आज ताल - एकताल विलम्बित प्रसंग - श्री राम | |
2 | छोटा ख्याल - कसक भुझा जा तनरंगवा ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - भक्ति रस | |
3 | छोटा ख्याल - सरस मधुर सुर सों ताल - त्रिताल द्रुत प्रसंग - श्री कृष्ण - मुरलीधर | |
4 | सरगम - रे ग प ध नि ध ताल - एकताल द्रुत |