राग सुंदरकली

स्वरमध्यम व धैवत वर्ज्य। रिषभ व निषाद कोमल। शेष शुद्ध स्वर।
जातिऔढव - औढव
थाट
वादी - संवादी -
समयदिन का दूसरा प्रहर
विश्रांति स्थानसा; ग; नि१; - नि१; प; ग ;
मुख्य अंगसा रे१ ग प नि१ प ; ग प नि१ ; प ग रे१ सा ; रे१ सा ,नि१ सा रे१ सा;
आरोह - अवरोहसा रे१ ग प नि१ सा' - सा' नि१ प ग ; प ग रे१ सा ;

राग सुंदरकली एक मधुर परंतु नया और अप्रचलित राग है। यह राग तीनों सप्तकों में उन्मुक्त रूप से गाया जाता है।

यह स्वर संगतियाँ राग सुंदरकली का रूप दर्शाती हैं – सा रे१ ग प ; प ग प ग रे१ सा ; ग प नि१ प ; प नि१ सा’ ; सा’ रे१’ सा’ नि१ प ग प ; ग प नि१ प ग रे१ सा ; ,नि१ सा रे१ सा ;

राग सुंदरकली की बन्दिशें

ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे ‘तनरंग’ द्वारा रचित हैं। निम्न सभी बंदिशों के गायक श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे हैं।अधिक जानकारी के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें

1
बड़ा ख्याल - सगुन बिचारो रे कब घरवा आये
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - विरह रस
2
मध्य लय ख्याल - बिनती सुनो श्याम
ताल - झपताल मध्य लय
प्रसंग - श्री कृष्ण - भक्ति रस
3
मध्य लय ख्याल - हर हर शंकर
ताल - झपताल मध्य लय
प्रसंग - श्री शंकर शंभु
4
छोटा ख्याल - आज आये मोरे पिया
ताल - एकताल द्रुत
प्रसंग - श्रृंगार रस
5
छोटा ख्याल - भोर ही आये पिया प्यारे
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - रूठना मनाना
6
छोटा ख्याल - जियरा डरावे मोरी दैया
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
7
छोटा ख्याल - नाचन लागे मुरला
ताल - एकताल द्रुत
प्रसंग - वर्षा ऋतू
8
छोटा ख्याल - सुर की साधना कर
ताल - एकताल द्रुत
प्रसंग - सुर साधना
9
छोटा ख्याल - उमंग मन में जागी जागी
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्रृंगार रस
10
सरगम - ग प नि प ग रे सा रे
ताल - त्रिताल द्रुत